संग्रहालय अपने डायोरामा, ओपन एयर मॉडलों, प्रदर्शों, दृश्य-श्रव्य तकनीकों, मल्टीमीडिया, इंटरैक्टिव डिस्पले, फिल्म शो, नुक्कड़ नाटकों, सम्मेलनों, कार्यशालाओं, प्रकाशन, शैक्षिक गतिविधियों आदि के माध्यम से मध्य भारत की जैव विविधता, उसके महत्व और प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण के बारे में शिक्षित करने का कार्य कर रहा है।
प्रकृति का नेटवर्क
प्रकृति के नेटवर्क को दर्शाती गैलरी की शुरुआत 07 विभिन्न प्राकृतिक आवासों / बायोम के रोचक प्रदर्शन के साथ होती है। प्रत्येक डिसप्ले उस आवास विशेष के अनुरूप पौधों और जानवरों के अनुकूलन को दर्शाता है।
मध्य प्रदेश के विभिन्न प्रकार के वनों, मध्य भारत की वनस्पति और जीव विविधता तथा उनके आर्थिक महत्व को कट-आउट तथा तस्वीरों के ज़रिए प्रदर्शित किया गया है।
जीवन निर्वहन के लिए जल निकायों/आर्द्रभूमि के महत्व पर बल देते हुए तीन प्रमुख नदियों को हाफरिलीफ़ मॉडल में लिप्यंतरण सहित प्रदर्शित किया गया है।
भारत के भू-वैज्ञानिक काल क्रम और महत्वपूर्ण खनिजों, जीवाश्मों और कई प्रकार की चट्टानों के प्रदर्श मौजूद हैं।
डायनासोर के अंडे, और खोपड़ी की प्रतिकृति।
प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीवन यापन कर रही बैगा जनजाति को दर्शाता वास्तविक डायोरामा।
प्रकाश संश्लेषण का महत्व, भक्षण संबंधों (फीडिंग रिलेशनशिप) तथा खाद्य श्रृंखला का अंत:संबंध जैसे खाद्य वेब, पारिस्थितिक पिरामिड के ज़रिए ऊर्जा के संचालन व ऊर्जा की मात्रा के जटिल पैटर्न को दर्शाया गया है।
पौधों और जीवों के डेड ऑर्गेनिक मैटर को मूल घटकों में बदलकर प्रकृति को वापिस करने की अपघटन प्रक्रिया में स्कैवेंजर्स तथा डीकंपोज़र्स (अपघटकों) की भूमिका।
सजीव और निर्जीव पर्यावरण के बीच संबंधों के महत्व को जैव-भू-रासायनिक चक्रों (biogeochemical cycle) की श्रृंखला के माध्यम से दर्शाया गया है।
भारतीय चीता का प्रदर्श, प्रकृति के अत्यधिक दोहन और मनुष्यों के स्वार्थी तौर-तरीकों के कारण ये चीता अब भारत में नहीं दिखाई देता है, यह प्रदर्शन संदेश देता है कि प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने पर ही जीवन फलता-फूलता है।
अवैध व्यापार, अवैध शिकार से प्राप्त जानवरों की खाल, हड्डियों, हाथी दांत आदि जैसे उत्पादों के फोटो की प्रदर्शनी।
जानवरों से प्राप्त उत्पाद जैसे चमड़ा, फर आदि से निर्मित फर कोट, दस्तानों तथा टोपी को डिस्पले किया गया है। यह डिस्पले जीवों से प्राप्त ऐसे उत्पादों के प्रयोग का खंडन करता है तथा इनका प्रयोग बंद करने का संदेश देता है। क्योंकि इनके प्रयोग के कारण कई बेहतरीन वन्यजीव प्रजातियों में अभूतपूर्व कमी आई है।
एक डायोरामा ऐसी लुप्त प्राय प्रजातियों को प्रदर्शित करता है जो (आवास) हैबिटैट के न होने , अवैध शिकार, अवैध वन्यजीव व्यापार और आक्रामक प्रजातियों आदि के कारण खतरे में हैं।
गैलरी का अंतिम प्रदर्श है दर्पण के सामने रखा गया ग्लोब जिससे दर्शक अपना प्रतिबिंब दर्पण में देखें और समझें कि हम ही अपनी पृथ्वी के अच्छे और बुरे के लिए जिम्मेदार हैं और स्वयं को प्रकृति से जोड़ सके हैं।
प्रांगण
संग्रहालय के केंद्रीय प्रांगण में डायनासोर ट्राइसेरराटॉप्स के मॉडलों का समूह आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र है। यहाँ दो छोटे प्रांगण हैं जहां मॉडल, वाटरफॉल, रिलीफ पेंटिंग आदि के रूप में आर्द्र भूमि पारिस्थिति की तंत्र और पारंपरिक संरक्षण से संबंधित प्रदर्श हैं।
युगों-युगों में जीवन
पृथ्वी पर जीवन के क्रम-विकास को दर्शाती एक विशाल पेंटिंग मौजूद है। इसमें आजकल पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पौधों तथा जीवों को दिखाया गया है। यह विभिन्न युगों में जीवन के रहस्यों को समझने में आगंतुकों की सहायता करती है। पेंटिंग के अंत में आधुनिक मनुष्य का उद्भव दिखाया गया है।
खोज केंद्र
इंटरैक्टिव थीम प्रदर्शनी प्रकृति के बारे में आपके ज्ञान को टेस्ट करती है।
रंग-बिरंगी मछलियों वाला खूबसूरत एक्वेरियम जो इस क्षेत्र को जीवंत बनाता है।
डोडो के बेहतरीन मॉडल के साथ विलुप्त जीवों के सूचनापरक सचित्र प्रदर्शन।
डॉल्फ़िन, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अर्थात गोडावण, बिच्छू तथा हेजहॉग (सेई) के ‘टच एंड फील’ मॉडल।
मगरमच्छ का कंकाल, और काले हिरण का कपाल।
हाथी शावक, कंगारू, लाल पांडा, चमगादड़, किंग क्रैब, क्लैडिस के जीवाश्म, व्हेल कशेरुका और किंग को बरा के असली नमूने,
मॉडल, कट-आउट्स, हाफ रिलीफ आदि के रूप में ‘हैंड्स ऑन एक्ज़ीबिट’ ( व्यावहारिक प्रदर्श)।
पग मार्क, फलों के मॉडल, छाल, सूचनापरक पत्रक आदि वाले ‘खोज दराज’
पक्षियों की आवाज़ को रिकॉर्ड कर बच्चों के लिए इंटरैक्टिव प्रदर्श तैयार किया गया है।
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल से प्राप्त सफेद बाघिन ‘रश्मि’ की खाल को प्रदर्शित करता शोकेस।
बच्चों के लिए पढ़ने व सीखने का विशेष क्षेत्र हैं जिसमें विज्ञान, प्रकृति पर विभिन्न प्रकार की पुस्तकें तथा कहानियाँ उपलब्ध हैं।
स्कूली विद्यार्थियों तथा क्लासरूम शिक्षण को समृद्ध बनाने हेतु विभिन्न विषयों पर लोन किट।
अस्थायी प्रदर्शनियों वाली गैलरियाँं
मध्यप्रदेश की नदियाँ यह प्रदर्शनी सूचनापरक सचित्र पैनलों, ट्रांसलिट तथा डायोरामा की सहायता से में मध्यप्रदेश की नदियों, वनस्पति, जीवों, जल ग्रहण क्षेत्र, रिपेरियन ज़ोन, जल प्रदूषण के सूचकों को प्रदर्शित करता है। इसके साथ पवित्र नदी नर्मदा का वर्किंग मॉडल उसके उद्गम और सहायक नदियों को दर्शाता है। यह नदियों से संबंधित मनुष्यों के सामाजिक- आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित करता आयामों पर केंद्रित है।
जंगल –रात के समय यह प्रदर्शनी रात्रिचर जीवों तथा वनस्पति के बारे में जानकारी देती है कि किस प्रकार उनका पारिस्थितिक निकेत (ecological niche-जैविक पर्यावरण में जीव का स्थान और उसके खाद्य संबंध) भिन्न है तथा वे किस प्रकार जीवित रहने के लिए रात्रिचर व्यवहार अपनाते हैं।
जीवों के इस अनोखे व्यवहार को सूचनापरक तथा चित्रात्मक पैनलों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। इसमें एक विशाल डायोरामा भी है जिसमें कई रात्रिचर प्रजातियों तथा मॉडलों को मल्टीमीडिया इफैक्ट्स के साथ प्रदर्शित किया गया है जिससे रात में जंगल का दृश्य प्रस्तुत होता है।