यह राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय का सर्वप्रथम स्थापित क्षेत्रीय केंद्र है और इसकी स्थापना के साथ ही क्षेत्रीय संग्रहालयों व उनकी गतिविधियों के ज़रिए देश में व्यापक रूप में अपनी पहुँच बनाने की अवधारणा को गति मिली।
संग्रहालय करणजी झील और चामुंडी हिल के पास शांत क्षेत्र में स्थित है। यह मैसूर चिड़िया घर के पास है। यह क्षेत्र अपने आप में संग्रहालय की पर्यावरण शिक्षा संबंधी गतिविधियों के लिए अध्ययन प्रयोगशाला है।
यह संग्रहालय भारत के दक्षिणी क्षेत्र के वनस्पति, जीव और भौगोलिक संपदा को दर्शाता है। इसके साथ-साथ प्रकृति व प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर ज़ोर देते हुए, वनस्पति और जीवों के साथ इस संपदा के पारिस्थितिक अंतर्संबंध को भी दर्शाता है। संग्रहालय द्वारा स्कूली बच्चों को जीव-विज्ञान और भूविज्ञान पर पाठ्यक्रम आधारित अध्ययन सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसमें पर्यावरणीय आयाम पर ज़ोर दिया जाता है। संग्रहालय पर्यावरण के प्रति जनता को जागरुक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम विकसित करता है।
पुरातत्व और संग्रहालय विभाग, कर्नाटक सरकार और विश्व प्रसिद्ध टैक्सिडर्मिस्ट स्टूडियो, मैसर्स वैन इन्गेन ऐंड वैन इन्गेन, मैसूर के संरक्षण में रखे गए मूल स्टॉक से क्षे.प्रा.वि.सं. मैसूर को सौभाग्यवश दो हज़ार से अधिक जैविक नमूने प्राप्त हुए थे। मैसूर संग्रहालय को मिले जैविक नमूने देशभर में बनाए गए अन्य क्षेत्रीय केंद्रों के लिए आधार निर्माण सामग्री थी।