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राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार
Ministry of Environment,
Forest and Climate Change

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पिछला नवीनीकरण September 15, 2021

संग्रहालय की विशिष्टता

 

  • पूर्ण रूप से कार्य करने वाले “रूफटॉप” सौर ऊर्जा संयंत्र वाला ओडिशा का पहला संग्रहालय ((ओडिशा में 189.2 किलो वॉट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता के साथ अभी तक का सबसे बड़ा संयंत्र)। 2015 से सौर ऊर्जा पर 80-100% तक निर्भरता।
  • वर्षाजल संचयन प्रणाली वाला एकमात्र संग्रहालय है (अभी तक) ।  प्रतिवर्ष लगभग 3 लाख लीटर  भूजल को रीचार्ज करता है।
  • जैव अपघटकों का प्रयोग करने वाला भारत का पहला संग्रहालय (वर्ष 2008 से)। ये जैव-अपघटक जैविक कचरे के शीघ्र अपघटन में सहायक होते हैं। फिर “प्रकृति को वापिस देने” के सिद्धांत को मूर्त रूप देते हुए यह संग्रहालय इसका उपयोग वर्मी कंपोस्ट तथा वर्मी वॉश बनाने में करता है जिसे संग्रहालय के बगीचे एवं परिदृश्य में प्रयोग किया जाता है।ओडिशा का सर्वप्रथम प्लास्टिक मुक्त सरकारी परिसर (1 मई, 2018 को घोषित), प्लास्टिक  कूड़ा फैलाने पर सख्त जुर्माना।
  • अधिकतम सीमा तक सामग्री  की रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देने वाला प्रथम संग्रहालय।
  • जून 2018 से संग्रहालय ने 100% बायोडिग्रेडेबल प्रदर्शन और मॉडल बनाने की अनोखी तकनीक तैयार की है और 27 अगस्त, 2019 तक लगभग 800-900 किलोग्राम प्लास्टिक का उपयोग करने से बचा है।इस तकनीक के आधार पर स्टिंगरे, किंग कोबरा (12 फीट लंबा), बेबी जिराफ (9 फीट ऊँचा), कोमोडो ड्रैगन (7 फीट लंबा), सिल्वर बैक गोरिल्ला (5 फीट ऊँचा और 5.5 फीट लंबा)  के लाइफ साइज़्ड मॉडल पहले ही तैयार  किए जा चुके हैं।  खाराजल मगरमच्छ (लंबाई 24 फीट), बड़े  दरियाई घोड़े   और उसके शावक  तथा डायनासोर  के लाइफ साइज़्ड   मॉडल  तैयार किए  जा रहे  हैं ।  इनमें से अधिकांश का  प्रयोग स्पर्श और अनुभव  के माध्यम से सीखने के लिए किया जा सकता है।  इस तकनीक में अन्य तकनीकों की तुलना में सामग्री लागत बहुत कम है। ये मॉडल  पूर्णतया या कम से कम 98% बायोडिग्रेडेबल हैं। वे टिकाऊ और मजबूत हैं। सावधानीपूर्वक आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाए जा सकते हैं। औसत परिस्थितियों में ये मॉडल लगभाग 10-15 वर्ष तक खराब नहीं होते () । मॉडल के पुराने हो जाने पर लगभग 60-90% मॉडलों को  भविष्य में  रिसायकिल किया जा सकता है। इन मॉडलों की बनावट, आकार, रूप और अनुभव अत्यंत  वास्तविक हैं और गुणात्मकता में ये फाइबर प्लास्टिक व राल (रेज़िन) आदि से बने मॉडलों  को टक्कर देते हैं। सभी मॉडल  सुसंतुलित / पूर्व-नियोजित मुख्य-फ्रेम /  मूल ढाँचे पर बनाए  जाते हैं  जिससे मॉडल टेढ़ा-मेढ़ा न हो, संबल हो। मॉडल को चूहों, कीड़ों और  फंगस से बचाने के लिए केवल जैविक, पारंपरिक और  संधारणीय (सस्टेनेबल) निवारक सामग्री और दवाओं का उपयोग किया जाता है जैसे सोडियम बाइकार्बोनेट (फंगस से बचाव के लिए),  इसेंशियल  ऑयल (सत) और क्यूप्रिक सल्फेट (कीट से बचाव  के लिए) और चूहों को पकड़ने के लिए स्वयं तैयार किए गए पिंजरे का उपयोग किया जाता है।
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